"काश मैं फिर से बच्चा बन जाऊँ।
ठुमक ठुमक कर मटक मटक कर, पूरे घर में शोर मचाऊँ।
काश मैं फिर से बच्चा बन जाऊँ।
माँ मुझको गोदी में उठाये,मेरी हर जिद पर वो वारी जाये,
तरह तरह के लोभ दिलाकर, मुझको सब्जी रोटी खिलाये,
दिनभर खेलकर जब थक जाऊँ, तो लोरी गाकर मुझे सुलाये,
मीठे सपनो में खो जाऊँ,काश मै फिर से बच्चा बन जाऊँ।
ठुमक ठुमक कर मटक मटक कर, पूरे घर में शोर मचाऊँ।
काश मैं फिर से बच्चा बन जाऊँ।
माँ मुझको गोदी में उठाये,मेरी हर जिद पर वो वारी जाये,
तरह तरह के लोभ दिलाकर, मुझको सब्जी रोटी खिलाये,
दिनभर खेलकर जब थक जाऊँ, तो लोरी गाकर मुझे सुलाये,
मीठे सपनो में खो जाऊँ,काश मै फिर से बच्चा बन जाऊँ।
शाम को जब पापा घर आएं, उनकी गोदी में चढ़ जाऊँ,
मीठी मीठी बातें सुनाकर,उनका मै दिल बहलाऊँ,
उनकी उंगली पकड़ पकड़कर, इधर उधर की सैर कराऊँ,
फिर झूठमूठ का रोना रोकर,टॉफ़ी चॉकलेट मैं ले आऊँ।
काश मैं फिर से बच्चा बन जाऊँ।
बहन के कपड़े पहन पहन कर, पूरे घर में इतराऊं,
भइया जब मेरी चोटी खींचे,मम्मी से मै डांट लगबाउं,
उनके साथ मैं कॉर्टून देखूँ और संग में पॉपकॉर्न मैं खाऊं,
ठुमक ठुमक कर मटक मटक कर, पूरे घर में शोर मचाऊँ।
काश मै फिर से बच्चा बन जाऊँ।"
By: Dr Swati Gupta
awesome line. Love to read your poems .
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