Poem on the occassion of Dhanteras (Deepawali)
“धनतेरस से शुरू होता है,दीवाली का त्यौहार।
कार्तिक की कृष्ण त्रयोदशी को, मनाया जाता है ये त्यौहार।
इस दिन परंपरा है खरीदने की, बर्तन या सोना चाँदी।
क्योंकि ये धन और वैभव के साथ साथ, लाता है खुशहाली।
यमदीप दान के नाम से भी,जाना जाता है ये त्यौहार
ऐसा करने से यमदेव के कोप से, सुरक्षित होता है परिवार।
कार्तिक की कृष्ण त्रयोदशी को, मनाया जाता है ये त्यौहार।
इस दिन परंपरा है खरीदने की, बर्तन या सोना चाँदी।
क्योंकि ये धन और वैभव के साथ साथ, लाता है खुशहाली।
यमदीप दान के नाम से भी,जाना जाता है ये त्यौहार
ऐसा करने से यमदेव के कोप से, सुरक्षित होता है परिवार।
साफ सफाई करके इस दिन,घर को स्वच्छ बनाओ
दरवाजे पर रंगोली बनाकर,ख़ुशी के दीप जलाओ।
लक्ष्मी-कुबेर की पूजा करके, लक्ष्मीजी को घर बुलाओ।
प्रेमपूर्वक सब मिलजुलकर, धनतेरस का पर्व मनाओ।”
By: Dr Swati Gupta
good poetry
ReplyDeletekeep it up