“मेरे बच्चे मुझसे पूँछे,माँ तारे क्यों चमकते हैं।
इतने उजले इतने सफ़ेद, क्या वाशिंग मशीन में नहाते हैं।
साबुन की जगह क्या,ये सर्फ़ एक्सेल लगाते हैं।
उनकी प्यारी बातें सुनकर, मैं मंद मंद मुस्काई।
और उनको गोदी में बैठाकर,ये बात समझाई।
आसमान में चंदा मामा ने किया है, रात में भी उजियारा।
इतने उजले इतने सफ़ेद, क्या वाशिंग मशीन में नहाते हैं।
साबुन की जगह क्या,ये सर्फ़ एक्सेल लगाते हैं।
उनकी प्यारी बातें सुनकर, मैं मंद मंद मुस्काई।
और उनको गोदी में बैठाकर,ये बात समझाई।
आसमान में चंदा मामा ने किया है, रात में भी उजियारा।
अपनी दूध सी चमक से, तारों को दे दिया है उजाला।
चाँदनी रात में तारे भी, टिम टिम कर चमचमाये।
और अपनी चमक सेआसमान में,सफ़ेद चादर फैलायें।
इसी वजह से ये इतने,उज्जवल और सफ़ेद नजर आये।
इनके प्यारे रूप में बच्चे,इतने मंत्र मुग्ध हो जाएं।
कि आसमान की ओर देखकर, तारों की गिनती गाएँ।
By: Dr Swati Gupta
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