Wednesday 11 November 2015

Poem on occsaion of Govardharn (Deepawali)

Poem on occsaion of Govardharn (Deepawali)

“गोवर्धन का त्यौहार मनाता है हर परिवार
दीवाली के अगले दिन आता है ये त्यौहार।
वर्षा के देवराज इंद्र थे अभिमानी। 
उनकी पूजा करता था गोकुल का हर एक प्राणी।
अभिमान चूर करने की खातिर कृष्ण ने लीला रचाई।
गोवर्धन की पूजा करो,बात ये सबके मन में बैठाई।
गोवर्धन की पूजा की सबने मिलकर तैयारी
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कुपित हुए तब इन्द्र देवता,घनघोर बारिश कर डाली।
घमासान बारिश से तब गोकुलवासी घबराये।
उनकी रक्षा की खातिर अंगुली पर कृष्ण गोवर्धन पर्वत उठाये।
ये देख सब गोकुलवासी गोवर्धन की शरण में आये।
इन्द्र का हुआ अभिमान चूर कृष्णा के पास वो आये।
माफ़ी मांगी इंद्र ने तब शत शत शीश नवाये।
सबके साथ फिर मिलजुलकर गोवर्धन पूजा में आये।
उसी दिन से मनाया जाने लगा गोवर्धन का त्यौहार।
जो करता गोवर्धन की पूजा उसको मिलता कृष्ण का प्यार।”
By: Dr Swati Gupta

2 comments:

  1. Thanks to tell about goverdhan pooja in poetry

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  2. Thanks to tell about goverdhan pooja in poetry

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