“आजकल दोस्ती के मायने बदल गए।
कल तक जो की जाती थी दिल से,
आज दिमाग का खेल हो गयी।
कल तक जो इमोशन्स में बंधी थी,
आज प्रैक्टिकल हो गयी।
और दोस्ती तो यहाँ मतलब की चीज़ हो गयी।
वो हमको दोस्ती के पैमाने बताते रहे।
हम तो इतने बेबस थे अपनी तकलीफो में,
कि सौ नस्तर चुभवा कर भी मुस्कुराते रहे।
कल तक जो की जाती थी दिल से,
आज दिमाग का खेल हो गयी।
कल तक जो इमोशन्स में बंधी थी,
आज प्रैक्टिकल हो गयी।
और दोस्ती तो यहाँ मतलब की चीज़ हो गयी।
वो हमको दोस्ती के पैमाने बताते रहे।
हम तो इतने बेबस थे अपनी तकलीफो में,
कि सौ नस्तर चुभवा कर भी मुस्कुराते रहे।
अपने दोस्तों के घर ख़ुशी के ठहाके लगाते रहे।
और उन्हें अहसास भी न हुआ हमारे दर्द का,
वो हमारे दुःख में भी मुस्कुराते रहे ।
कभी एक दोस्त का दर्द दूसरे दोस्त की आँखों में नजर आता था,
और वो दोस्त के दुःख पर आँसू बहाता था,
क्योंकि वो रिश्ता दिल का रिश्ता बन जाता था।
अब तो दोस्ती टाइम पास की चीज हो गयी,
और दूसरे दोस्त की जरूरतों की मशीन हो गयी।
क्योंकि कल तक जो की जाती थी दिल से,
आज दिमाग का खेल हो गयी।”
By: Dr Swati Gupta
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