Sunday 29 November 2015

This poem is against Child Labour..

मुझे बालश्रम से दूर रखो,मुझे मेरा बचपन जीने दो।
नहीं ढोने मुझे ककड़ पत्थर, नहीं करनी मुझे मजदूरी।
नहीं चलाना मुझको हल, नहीं करनी मुझको खेती।
मेरे बाल उम्र पर रहम करो, मुझे मेरा बचपन जीने दो।
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मेरी भी इच्छा है, पढ़ने और लिखने की।
यूनिफॉर्म नया पहनकर, विद्यालय जाने की।
मुझे पढ़ने से मत रोको, मुझे मेरा बचपन जीने दो।
क्या गुनाह किया है मैंने, इतनी तकलीफ उठाता हूँ।
अपने नाजुक कन्धों पर मैं इतना बोझ उठाता हूँ।
मुझपर इतनी सी दया करो, मुझे मेरा बचपन जीने दो।
मैं भी तो छोटा बच्चा हूँ, खेलने की इच्छा रखता हूँ।
दोस्तों के संग मिलजुलकर मस्ती की इच्छा रखता हूँ।
मेरे बचपन को मुझसे मत छीनो,मुझे मेरा बचपन जीने दो।
मुझे बालश्रम से दूर रखो, मुझे मेरा बचपन जीने दो।
By: Dr Swati Gupta

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