Sunday 15 November 2015

This poem is against the Terror attack in Paris…

“आतंक के साये में जी रहा संसार है।
आतंकी हमले में पेरिस का हुआ बुरा हाल है।
गोलियों की आतिशबाजियों ने लगा दिया है लाशो का ढेर।
हर परिवार में मच गया है आतंक का कहर।
इंन्सानियत खत्म हो गयी है इंसान रह गए हैं।
इंसान ही इंसान की मौत का खेल रच रहे हैं।
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शैतानी ताकतों ने जीना किया दुश्वार है।
भगवान तेरे संसार में शैतानो का हुआ राज है।
अब समस्त संसार को एकजुट होकर आगे आना होगा।
आतंकऔर आतंकियों का खात्मा करने का साहस उठाना होगा।
“मैं” की भावना तज कर “हम”की भावना को अपनाना होगा।
इंसान को स्वार्थहीन भाव से इंसान के काम आना होगा।
तभी हम कर पाएंगे वसुंधरा कुटुम्बकम् का निर्माण।
और बना पाएंगे अपने विश्व को महान।”
By: Dr Swati Gupta

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