Monday 9 November 2015

Poem on the occasion of Narak Chaturdashi (Chhoti Deepawali)

Poem on the occasion of Narak Chaturdashi (Chhoti Deepawali)

“कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाते हैं, हम नरक चतुर्दशी का त्यौहार।
दीपावली के एक दिन पहले, आता है यह त्यौहार।
भगवान कृष्ण ने मारा था, नरकासुर नामक राक्षस को।
और मुक्त किया था उसके बंधन से, सोलह हजार कन्याओं को।
कन्याओं ने विनती की, कृष्ण से बारम्बार।
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बंदी थे उस राक्षस के,इसलिए अब कोई न करेगा हमे स्वीकार।
आपकी शरण में आये हैं हम, कृपा करके दो मुक्ति का द्वार।
उनको सम्मान दिलाने को,कृष्ण ने किया उन सबसे विवाह।
जो प्रभु की शरण में जाता है,भव बंधन से छूट जाता है और पाता है मुक्ति का द्वार।
इसी ख़ुशी में मनाते हैं, हम ये पावन त्यौहार।”
By: Dr Swati Gupta

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