जिंदगी के भी अजीब रंग है।
नमक है ज्यादा चीनी कम है।
कभी रंगों से भरी लगती है ।
तो कभी बहुत ही बदरंग है।
कभी तो खुशियां हैं।
तो कभी गम ही गम है।
कभी तो मुस्कुराती सी लगती है।
तो कभी आँखे बहुत ही नम है।
कभी प्यार ही प्यार है।
तो कभी नफरत की मार है।
नमक है ज्यादा चीनी कम है।
कभी रंगों से भरी लगती है ।
तो कभी बहुत ही बदरंग है।
कभी तो खुशियां हैं।
तो कभी गम ही गम है।
कभी तो मुस्कुराती सी लगती है।
तो कभी आँखे बहुत ही नम है।
कभी प्यार ही प्यार है।
तो कभी नफरत की मार है।
कभी सोने सी चमकती है
तो कभी लोहे की जंग है।
कभी आशा से परिपूर्ण है।
तो कभी निराशा का भँवर है।
कभी तेज हवा का झौंका है।
तो कभी कटी हुई पतंग है।
कभी बादलों से तेज चलती है।
तो कभी थमा हुआ समुद्र है।
कभी सुरीली तान है।
तो कभी बेसुरा गान है।
इसी का नाम तो जिंदगी है।
जो जीने के सिखाती हजारों ढंग है।
By:Dr Swati Gupta
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