अगर देशभक्तों ने ये सोचा होता,
अंग्रजो से संघर्ष करूँ क्यों,
इससे मुझको कोई लाभ नही है,
देश कभी आजाद न होता,
जकड़े रहते हम गुलामी में,...
अगर देश के वीर जवान भी ऐसा ही सोचें,
डटा हुआ हूँ देशसीमा पर क्यों,
देश के दुश्मनों से मेरा कोई नुकसान नहीं हैं,
चैन की साँस न ले पाएंगे हम फिर,
जीयेंगे हर पल आतंक के साए में,
देश "मैं" का नाम नहीं है,
ये हम सब से बना हुआ है,
अगर एक फ़िल्म के टिकट के लिए,
खड़े रह सकते है लाइन में,
जी ओ का सिम पाने के लिए,
घंटो रह सकते हैं लाइन में,
फिर कुछ ही दिन की बात है यारों,
भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए,
अगर सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है,
तो उनके कदम से कदम मिलाने के लिए,
हम खड़े हो सकते है बैंक की लाइन में,
ये लाइन का खेल नहीं है,
हमारे सब्र का है इम्तिहान,
कई लोग यहाँ पर आएंगे,
और इसके खिलाफ हमे भड़कायेंगे,
लेकिन असली जीत तभी है हमारी,
जब हम उनकी बातों में न आएंगे,
एकजुट होकर समर्थन देंगे सरकार को,
और अपने प्यारे भारत को आतंक,
और भ्रष्टाचार से मुक्त कराएंगे।।
By:Dr Swati Gupta
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